Surya Namaskar अधिकतर लोग सुबह करते है, जिसका उद्देश्य सूर्य की स्तुति करना है। इसे हाथ जोड़ कर एवं अन्य आसनों को मिलाकर बनता है, सूर्य नमस्कार। यह प्राचीन काल से किया जा रहा है, अपने नए दिन की खुशी मनाने के लिए और सूर्य देव की स्तुति के लिए। किन्तु, अब यह विश्व में सबसे लाभकारी एवं आसान प्राणायाम बन चुका है। जिसे आज अपनी सेहत स्वस्थ और तंदुरुस्त चाहिए वह यह योगासन करते है।
इसमें 12 आसन आते है, जिससे आपकी कम से कम 12 समस्याओं का अंत होता है।
आइए जानते है, Surya Namaskar करने के फ़ायदे।
बेहतर पाचन तंत्र।
सूर्य नमस्कार आपके पाचन तंत्र को मजबूत रखने में मदद करता है। यह आपके पाचन तंत्र में रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है। साथ ही इससे गैस, कब्ज जैसी कई समस्या भी उत्पन नहीं होती है। यह आपके आंटो के लिए भी लाभकारी है। इसे सुबह पानी पी कर याँ खाली पेट करना अत्यंत फ़ायदेमंद है।
वजन कम करने में मदद रूप।
सामान्य रूप से हर रोज़ सूर्य नमस्कार करना एक अच्छा cardio व्यायाम है। जिससे वजन कम करने में मदद मिल सकती है और वजन जल्दी भी कम होगा।
इसमें जो आसन आते है, उसकी मदद से आपके पेट की मांसपेशियों की streching हो जाती है। इससे Belly fat जल्दी कम होता है।
Sugar level को कम करता है।
Surya Namaskar के नियमित अभ्यास से आपके ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। यह दिल की कई बीमारियों को भी दूर रखने में भी मदद रूप है।
Anxiety Improve होती है।
यदि आप नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करते है, तो आपको न केवल अपने शारीरिक रूप से फ़ायदा होता है। किन्तु, आपको इससे मानसिक रूप से भी फ़ायदा पोहोंचेगा और काफी अंतर भी दिखाई देगा। यह नर्वस सिस्टम को बेहतर बनाने में मदद करता है। इससे आपका मन शांत रहता है और चिंता से भी छुटकारा मिलता है। Thyroid की समस्या वाले लोगों के लिए यह विशेष रूप से फायदेमंद है।
आपके शरीर को Detox करने में मदद करता है।
Surya Namaskar करने से आपको साँस लेना और साँस छोड़ने में दिक्कत नहीं आएगी। इससे आपके फेफड़े में हवा का प्राकोब नियंत्रित रहता है। साथ ही इससे oxygen की कमी भी नहीं होती है। यह Carbon monoxide और अन्य जहरीली गैसों से छुटकारा दिलाकर शरीर को Detox करने में मदद करता है।
नियमित मासिक धर्म चक्र सुनिश्चित करता है।
सूर्य नमस्कार मासिक धर्म चक्र के बेहतर नियमन में भी मदद करता है। नियमित रूप से आसन के आंदोलनों का अभ्यास करने से भी बच्चे के जन्म की प्रक्रिया को आसान बनाने में मदद मिलती है। पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने और मासिक धर्म के समय कम दर्द हो इसके लिए हर रोज आसन करें।
बेहतर अनिद्रा (Insomnia)।
सूर्य नमस्कार आपके sleeping pattern को बेहतर बनाने के लिए जाना जाता है। यह आपके दिमाग को शांत करने में मदद करता है। जिससे आपको रात में एक बेहतर और अधिक शांतिपूर्ण नींद मिलती है। इसका मतलब है कि आप –
अंततः उन नींद की गोलियों को अलविदा कह सकते है, जो आप हमेशा से लेते आएँ है।
दमकती त्वचा पाएँ – Surya Namaskar से।
आपके रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है सूर्य नमस्कार। जिससे आपकी त्वचा और आपका चेहरा चमक ने लगता है। यह झुर्रियों को रोकने में भी मदद करता है। बेहतर परिणाम पाने के लिए इस आसन को रोज करें।
कुछ और फ़ायदे Surya Namaskar करने के।
- योग से कब्ज, Diarrhea जैसी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
- सूर्य नमस्कार के अभ्यास से पीठ की मांसपेशियों का व्यायाम होता है। इस तरह से kidney की मालिश भी होती है।
- किडनी की क्रियाओं को तेज़ करता है और रक्त प्रवाह भी बढ़ाता है।
- इससे हड्डियों में भी फ़ायदा होता है।
आइए जानते है, की यह Surya Namaskar आखिर करना कैसे है?
चरण – 1 प्राणायाम (प्राथना मुद्रा)
अपनी चटाई के किनारे पर खड़े हों, अपने पैरों को एक साथ रखें और अपने वजन को दोनों पैरों पर समान रूप से संतुलित करें। अब सांस लेते-लेते अपने दोनों हाथों को दोनों तरफ से ऊपर उठाएँ। फिर साँस छोड़ते हुए, अपनी हथेलियों को प्रार्थना की स्थिति में छाती के सामने एक साथ लाएँ।
चरण 2 – Hasta uttanasana – Surya Namaskar।
सांस लेते हुए, हाथों को ऊपर और पीछे उठाएँ। जिससे Bisceps कानों के पास रहें। इस मुद्रा में, पूरे शरीर को ऊँची एड़ी के जूते से उंगलियों के सुझावों तक फैलाने का प्रयास किया जाता है।
चरण – 3 Hastapadasana (आगे की ओर झुकते हुए)।
श्वास बाहर निकालते हुए, रीढ़ को सीधा रखते हुए कमर से आगे की ओर झुकें। जैसे ही आप पूरी तरह से साँस छोड़ते है, हाथों को पैरों के पास फर्श पर लाएँ।
चरण 4 – Ashwa Sanchalanasana (अश्वारोही) – Surya Namaskar
श्वास लेते हुए, अपने दाहिने पैर को पीछे की ओर धकेलें, जहाँ तक संभव हो। दाहिने घुटने को फर्श पर लाएँ और ऊपर देखें।
चरण 5 – चतुरंग दंडासन (छड़ी मुद्रा)।
जैसे ही आप सांस लें, बाएँ पैर को पीछे ले जाएँ और पूरे शरीर को एक सीधी रेखा में लाएँ।
चरण 6 – अष्टांग नमस्कार (Ashtanga Namaskara) ।
आपको अब सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों, पैरों, घुटनों को ज़मीन से मिलना है अपनी छाती के साथ। इस Position में कुछ समय रहें और सांस रोके।
रहें और सांस को रोकें।
चरण 7 – भुजंगासन (Bhujangasana – Cobra Pose)।
अपने हाथों की हथेलियों को ज़मीन पर रखें। साथ ही पेट को भी ज़मीन से स्पर्श कर अपने सिर को पीछे की तरफ ऊपर झुकाएँ। जितना हो सके उतना।
चरण 8 – अधोमुख शवासन (Adho Mukha Svanasana – Downward-facing Dog Pose) – Surya Namaskar
सबसे पहले अपने पैरों को जमीन पर सीधा रखें और कोनी को ऊपर की ओर उठाएँ। अब अपने कंधों को सीधा रख दें और सिर को थोड़ा अंदर की तरफ करने की कोशिश कीजिए।
चरण 9 – अश्व संचालनासन (Ashwa Sanchalanasana – Equestrian Pose)
अब अपने पैर पीछे की ओर करें और फैलाएँ। अब सीधे पैर के घुटने को ज़मीन पर रखें। फिर दूसरे पैर के घुटने को मोड़ लें। साथ ही अपने हाथों को ज़मीन पर रखें और अपना चहरा आसमान की ओर कर लें।
चरण 10 – पादहस्तासन (Padahastasana – Hand Under Foot Pose)
सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुके। साथ ही अपने हाथों से पैरों को स्पर्श करें। इस परिस्थिति में आपका सिर घुटनों से मिलना चाहिए।
चरण 11 – हस्तउत्तनासन (Hasta Uttanasana – Raised Arms Pose) – Surya Namaskar
अपने हाथों को सीधा कर लें खड़े होकर। अब हाथों को थोड़ा पीछे भी कर लें। इसके साथ साथ आप अपनी पीठ को भी पीछे की ओर झुकाएँ।
चरण 12 – प्रणामासन (Pranamasana – The Prayer Pose) – Surya Namaskar
अब आप सूर्य देव के समस्क्ष हाथों को जोड़ कर खड़े हो जाएँ। इस परिस्थिति में आने से आपका यह प्रारणायम ख़तम होता है।
यदि, आप पूरे दिन में सिर्फ सूर्य नमस्कार भी करते है। फिर भी यह बाकी कई आसनों से फ़ायदेमंद है।